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Monday, November 08, 2010

किधर जाऊं मैं...?


इधर जुल्फ आशिक की, उधर माँ का आँचल

कहाँ सर छुपाऊं ? किधर जाऊं मैं ?


जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'

1 comments:

हिमांशु डबराल Himanshu Dabral (journalist) said...

बहुत सही शेर है जय...कही भी जाओं पर माँ के आँचल में ही सुकून मिलेगा...