आज के बच्चे ,
क्यूँ ?
पारिवारिक परिवेश ...?
समाज या देश ...?
घर या परदेश ...?
हर क्षण ,
क्या इन सब का असर ,
बच्चों पर पड़ने से,
रह चुका है शेष ...?
बदले हुए वेशों को देखकर ,
क्या वे बदले नहीं वेश ...?
इन सब तमाम ,
होते नहीं अच्छे ...!
क्यूँ ?
पारिवारिक परिवेश ...?
समाज या देश ...?
पहनावा या वेश ...?
घर या परदेश ...?
हर जगह ,
हर क्षण ,
क्या इन सब का असर ,
बच्चों पर पड़ने से,
रह चुका है शेष ...?
बदले हुए वेशों को देखकर ,
क्या वे बदले नहीं वेश ...?
इन सब तमाम ,
अस्तित्वों के ,
परिणाम ,
प्रत्यक्ष हैं ...
आज के बच्चे ...!
जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'
1 comments:
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! उम्दा प्रस्तुती!
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