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Sunday, March 28, 2010

बेरुखी...

तुम्हारी बेरुखी ने लाज रख ली मयखाने की,

तुम आँखों से पिला देते तो मयखाने कहाँ जाते...?

2 comments:

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

बहुत ही सुन्दर !

shweta.jit said...

KYA BAAT HAI JANAB