इधर जुल्फ आशिक की, उधर माँ का आँचल
कहाँ सर छुपाऊं ? किधर जाऊं मैं ?
जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'
उन्हें 'सच्चा' या 'झूठा', क्या कहोगे ऐ मेरे खुदा ?
जो खुद से झूठ लेकिन, दूसरों से सच बोलते हैं...!
जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'
वो आये थे हमारे अकेलेपन का इलाज करने,
बेचारे खुद भी मरीज़ - ए - तन्हाई हो गए ...!
जयकरन सिंह भदौरिया 'जय'